
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने हाल ही में यह ऐलान किया कि “बंगाल महिलाओं के लिए देश का सबसे सुरक्षित प्रदेश है।”
बयान सुनकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो नारी सुरक्षा के मामले में बंगाल अब स्विट्ज़रलैंड बन गया हो। लेकिन तभी पीछे से सुर्खियों ने टोका — “कोलकाता लॉ कॉलेज में छात्रा से रेप और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की हत्या भूल गए क्या?”
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लॉ कॉलेज रेप केस और TMC की ‘सुरक्षा’ की परिभाषा
टीएमसी नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ कथित रूप से बलात्कार की घटना सामने आई। घटना की जांच जारी है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं, “क्या महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित राज्य में ये सब भी ‘सुरक्षा के दायरे’ में आता है?”
RG कर मेडिकल कांड: सिस्टम ICU में?
इसके पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की खबर ने बंगाल को हिला दिया था। लेकिन शायद ये घटनाएं “आंकड़ों की किताब” में दर्ज नहीं होतीं — या फिर दर्ज होती हैं, मगर प्रेस रिलीज़ में म्यूट कर दी जाती हैं।
कुणाल घोष बोले: “पुलिस एक्शन लेती है”
कुणाल घोष ने यह भी कहा कि बंगाल में पुलिस सक्रिय है और सामाजिक अपराध कम हुए हैं।
हो सकता है पुलिस सच में सक्रिय हो — लेकिन अपराध से पहले या बाद में, यह अब चर्चा का विषय बन गया है।
सुरक्षा…?
अगर बंगाल इतना ही सुरक्षित है, तो फिर बार-बार महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाएं सिर्फ ‘इत्तेफाक़’ हैं या आंकड़ों की काली परछाई?
आंकड़े कुछ कहते हैं, जमीनी हकीकत कुछ और
राजनीतिक बयानबाज़ी में “सबसे सुरक्षित राज्य” टैग मिलना आसान है, लेकिन महिला सुरक्षा सिर्फ बयान से नहीं, भरोसे और हकीकत से बनती है।
जब पीड़ित चुप न रहे और सिस्टम जागे — तब जाकर कोई राज्य सच में “सबसे सुरक्षित” कहलाने लायक होता है।